निति संबंधी अन्य कवियों के दोहे/ कविता एकत्र कीजिए और उन दोहो/कविताओं चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर लगाइए।


(कबीरदास के नीति दोहे)


साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय।


मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय।


जाति ना पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।


मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।


निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय।


बिन पानी साबुन बिना, नर्मल करे सुभाय।


(रहीम के नीति दोहे)


तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।


कहि रहीम पर काज हित, संपति संचहिं सुजान।


रहिमन निजमन की व्यथा, मन ही राखो गोय।


सुनी इटलेहैं लोग सब, बांट ले लेहैं कोय।


जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।


चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।


(तुलसीदास के नीति दोहे)


मुखिया मुख सौं चाहिए, खान-पान को एक।


पालै-पोसै सकल अंग, तुलसी सहित विवेक।


आवत ही हर्ष नहीं, नैनन नहीं स्नेह।


तुलसी तहां न जाइए, कंचन बरसे मेह।


तुलसी मीठे बचन से, सुख उपजत चहुं ओर।


बसीकरन एक मंत्र है, तच दे बचन कठोर।


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